बिहार में " पर्यटन एवं पर्यटक स्थल " जिनके बारे में जरूर जानना चाहिए !
पर्यटन शब्द शुरुआत 17वी शताब्दी के मध्य से मन जाता है। बिहार की धरती पर्यटन की दृष्टि से प्रबल प्रतिभा कि धनी रही है।
बिहार में स्थानीय स्तर के साथ -साथ राष्ट्रीय एवं अंतरास्ट्रीय स्तर के पर्यटन स्थल विधमान है।
बोधगया जिसे उरुवेला के नाम से भी जाना जाता है, यह फल्गु नदी के किनारे स्थित है।
" भगवान बुद्ध " को ज्ञान की प्राप्ति यही पर हुआ था। यूनेस्को द्वारा बोधगया में स्थित महाबोधि मंदिर को जुलाई 2002 में विशव विरासत स्थल के रूप में घोषित किया गया।
वैशाली जैन धर्म के 24वे तीर्थकार
महावीर स्वामी कि जन्म स्थली है। वैशाली में ही बौध धर्म का द्वितीय सम्मेलन 383 ई.पु. में हुआ था।
पटना का प्राचीन नाम पाटलिपुत्र था जो 16वी शताब्दी में शेरशाह सूरी द्वारा इसका नामकरन पटना किया गया। पटना जहा
" गुरुगोविंद सिंह जी " का जन्म 1664 में हुआ था जो सिखों के 10वे गुरु है।
1786 में " गोलघर " का निर्माण अनाजो को सही और सुरक्षित भंडारण के लिए जान गास्र्टिन द्वारा किया गया। राष्ट्रीय संस्थान के रूप में "खडाबख्श लाइब्रेरी" कि स्थापना 1891 पटना में कि गयी ।
नालंदा जहा अंतरास्ट्रीय स्तर की शिक्षा एवं ज्ञान केंद्र के लिए "
नालंदा विशवविद्यालय " की स्थापना स्थापना कुमार गुप्त द्वारा किया गया। जहा पर चीनी यात्री ह्वेनसांग ने 12 वर्षो तक बौद्ध धर्म संबंधित शिक्षा ग्रहण किया।
भागलपुर जिले में स्थित भागल पुर जिला जहा पर पाल वंशीय शासक धर्मपाल द्वारा अंतरास्ट्रीय स्तर का विशवविद्यालय की स्थापना किया गया था, यहां पर विदेशी पर्यटक एवं शिक्षार्थी शिक्षा ग्रहण करने के लिए आते रहे है।
प्राचीन काल मे राजगीर का नाम गिरिव्रज था। यह सबसे बड़ा साम्राज्य मगध की राजधानी थी। "
प्रथम बौद्ध संगीति " अजातशत्रु के नेतृत्व में सम्पन हुई। राजगीर में पर्यटक की दृष्टि से विशव शांति सम्पन बहुत ही सराहनीय है।
यहां आज भी विरासतों के तौर पर " गर्म जल के झरने " है।
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Jai bharat jai bihar
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